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समय के साथ
कितना कुछ बदल जाता है,
बचपन बदल जाता है बुढ़ापे में,
शुरुवात पा जाती है मंजिल
या
गुम हो जाती है भीड़ में कहीं .
अब तो ,
समय के साथ साथ,
बदल जाते हैं संस्कार,
बदल जाते है दोस्त,
और तो और
बदल जाती हैं,
प्राथमिकताएं भी.
वैसे भी व्यस्तता भरे इन दिनों में
अपने आप के सिवा
और कुछ,
सूझता भी तो नहीं
लगा लेते हैं ,
एक पौधा अपने आँगन में ,
ताज़ी हवा के लिए
पर
नहीं रख पाते ख्याल उसका भी,
और तो और
याद कर लेते हैं माँ--पिता को भी
उनके लिए निर्धारित दिनों में
की
बदल ही जाती हैं प्राथमिकताएं
समय के साथ साथ
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