Wednesday 25 January 2012

भारत स्तुति

गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएँ ...........


भारत स्तुति

मेरे देश तुझको ,मेरा नमन
कितनी सुहानी धरती तेरी ,
पावन तेरा गगन |

मंत्रों सी पावन धरती है,
सबका अभिनन्दन करती है,
जीवन की सांसे हैं सबमें ,
जड़ हो या चेतन .........

पवन तेरी है चंचल –चंचल ,
गीत सुनाये मंगल- मंगल ,
हर मौसम खुशियों का मौसम,
पतझड़ या सावन ........

खिलती हुई कली ना तोडें ,
अपनों को अपनों से जोड़ें ,
महकाना है उपवन अपना ,
अपना ये आँगन .........

ना हो भाषा राग-द्वेष की,
बोली मीठी प्रेम-देश की,
लोभ,निराशा,स्वार्थ,तिकड़में,
आज करें तर्पण .........

अपना देश है अपना साथी ,
जैसे एक दीया और बाती,
चलो किरण बन जाएँ हम तुम,
दुनिया हो रोशन ........
मेरे देश तुझको ,मेरा नमन
कितनी सुहानी धरती तेरी ,
पावन तेरा गगन |

Monday 16 January 2012

क्या कहें क्या ना कहें


क्या कहें क्या ना कहें
गीत बन ढलते रहें

श्रम से भीगी जो हो सांसे
वक़्त के हों उल्टे पांसे
मंज़िले कदमो मे होंगी
शर्त बस- चलते रहें.

राह जब दुश्वार होगी
जीत होगी हार होगी
जिस्म की इमारतों मे
ख़्वाब बस पलते रहें.

एक धुन्धली सी किरण है

रिश्तों मे जो आवरण है
सांस की गर्मी से अपनी
मोम से गलते रहें.