Saturday, 20 August 2011
मौन: सपने खुली आँखों के, सपने नहीं होते
मौन: सपने खुली आँखों के, सपने नहीं होते: सपने खुली आँखों के, सपने नहीं होते दिल जिनमे दरीचे न हो, अपने नहीं होते बचपन का मेरा ख्वाब कहीं, खो गया एसे कुछ सीपियों मे ज्यों कभ...
सपने खुली आँखों के, सपने नहीं होते
सपने खुली आँखों के, सपने नहीं होते
दिल जिनमे दरीचे न हो, अपने नहीं होते
बचपन का मेरा ख्वाब कहीं, खो गया एसे
कुछ सीपियों मे ज्यों कभी मोती नहीं होते
खुशियों के कारोबार पे करता है जो यकीं
ये झूठ है कि ग़म उसे सहने नहीं होते
हर शख़्स जहाँ भीड मे तन्हा सा रहता है
बेशक वो मकां होंगे कभी घर नहीं होते
मुस्कान चलों बाँट दें कुछ इस जहाँ मे हम
सजदे को खुदा बुत ही ज़रूरी नहीं होते
मेरा, छूट गया गाँव
सुविधा के मोह में
बहक गए पाँव
मेरा, छूट गया गाँव
गोबर से लिपा पुता रहता था आँगन
खुशियाँ ही खुशियाँ तब लाता था सावन
जीवन अब अस्त-व्यस्त
सर पे नही छाँव
शहर सारा बेगाना, सर पे नही साया
सुख मे जो साथ रहा, दुख मे ना आया
ना ही बचा ठौर कोई
ना ही कोई ठाँव
रोजी के लाले हैं, पाँवों मे छाले
सुलझे से सुलझे ना, उलझन के जाले
जीवन मे लगने लगे
रोज़ नए दाँव.
सुविधा के मोह में
बहक गए पाँव
मेरा, छूट गया गाँव
Saturday, 30 July 2011
पूंजी
पूंजी ,
महाजन
के लिए,
धन- दौलत.
किसी
बिल्डर के लिए
बेशकीमती ,
ज़मीन का टुकड़ा
ठंड से
ठिठुरते आदमी
के लिए
एक कम्बल
या
भूखे के लिए
हो सकती हैं
कुछ
रोटियां भी ....
२१.०१.२०११
महाजन
के लिए,
धन- दौलत.
किसी
बिल्डर के लिए
बेशकीमती ,
ज़मीन का टुकड़ा
ठंड से
ठिठुरते आदमी
के लिए
एक कम्बल
या
भूखे के लिए
हो सकती हैं
कुछ
रोटियां भी ....
२१.०१.२०११
शब्द
शब्द - १
शब्द ,
भीतर थे कहीं
पर
तुमसे मिलकर ,
शब्द ,
बनकर गीत
गूंजते हैं
आकाश में
शब्द - २
शब्द ,
केवल शब्द
नहीं होते
एक शब्द के
होते हैं,
कई अर्थ
शब्द ,केवल
अर्थों के लिहाज़ से,
होंगे तुम्हारे लिए
मेरे लिए तो
शब्द है............
ढेर सारी सम्भावनाएं
२१-०१-२०११
शब्द ,
भीतर थे कहीं
पर
तुमसे मिलकर ,
शब्द ,
बनकर गीत
गूंजते हैं
आकाश में
शब्द - २
शब्द ,
केवल शब्द
नहीं होते
एक शब्द के
होते हैं,
कई अर्थ
शब्द ,केवल
अर्थों के लिहाज़ से,
होंगे तुम्हारे लिए
मेरे लिए तो
शब्द है............
ढेर सारी सम्भावनाएं
२१-०१-२०११
एक पंछी ढूंढता है फिर बसेरा
एक पंछी ढूंढता है
फिर बसेरा ........
कल यहीं था आशियाना ,
कह रहा था जल्दी आना
ढूंढता वो फिर रहा है ,
अपना बचपन ,घर पुराना
तोडा जीने ,
क्यूँ न उसका मन झकोरा
एक पंछी ढूंढता है
फिर बसेरा...........
अब न वो रातें हैं अपनी ,
अब न वो बातें हैं अपनी
हम ही थे खुदगर्ज हमने ,
खुद ही लूटी दुनिया अपनी
कुय कहें ,
क्यूँ खो गया अपना सवेरा
एक पंछी ढूंढता है,
फिर बसेरा..........
उसने तो जीवन दिया था,
सांसों में भी दम दिया था
आसमां हो या ज़मी से ,
दाम न उसने लिया था
हमने फिर,
क्यूँ चुन लिया खुद ही अँधेरा
एक पंछी ढूंढता है ,
फिर बसेरा..........
३०.०४.२००९
फिर बसेरा ........
कल यहीं था आशियाना ,
कह रहा था जल्दी आना
ढूंढता वो फिर रहा है ,
अपना बचपन ,घर पुराना
तोडा जीने ,
क्यूँ न उसका मन झकोरा
एक पंछी ढूंढता है
फिर बसेरा...........
अब न वो रातें हैं अपनी ,
अब न वो बातें हैं अपनी
हम ही थे खुदगर्ज हमने ,
खुद ही लूटी दुनिया अपनी
कुय कहें ,
क्यूँ खो गया अपना सवेरा
एक पंछी ढूंढता है,
फिर बसेरा..........
उसने तो जीवन दिया था,
सांसों में भी दम दिया था
आसमां हो या ज़मी से ,
दाम न उसने लिया था
हमने फिर,
क्यूँ चुन लिया खुद ही अँधेरा
एक पंछी ढूंढता है ,
फिर बसेरा..........
३०.०४.२००९
बचपन
बचपन -१
मैं अब भी
करता हूँ शरारततें
मिलकर
अपने बच्चों के साथ,
बन जाता हूँ
पूरा का पूरा बच्चा
जैसा मैं था कभी
और
जीता हूँ अपना
बचपन
भरपूर
इन दिनों भी
मैं अब भी
करता हूँ शरारततें
मिलकर
अपने बच्चों के साथ,
बन जाता हूँ
पूरा का पूरा बच्चा
जैसा मैं था कभी
और
जीता हूँ अपना
बचपन
भरपूर
इन दिनों भी
Thursday, 28 July 2011
ये सफर , अच्छे से बेहतर की तलाश में
इंसानियत की ज़द में , उजालों की आस में
ये सफर , अच्छे से बेहतर की तलाश में
किरदार कैद हैं कई , पर्दों के दरमियाँ
फ़न उनके फ़िर से लाएँ चलो हम उजास में
मिट्टी के घरौन्दे हैं महलों की ओट में
गिरवी हैं खुशियाँ सारी, महाजन के पास में
संजीदा बहस होगी, दिल्ली में भूख पर
मुद्दा ये ज़िक्र में है, हर आम-ओ-खास में
गुलशन की हवाओं मे ये ,कैसा ज़हर घुला
तितली भी डर रही है जाने को पास में
मुद्दत से मौन , ढूंढ रहा क्या है ये हुजूम
खुशियों की चाह है या सुकूं की तलाश में
ये दिल तो बंजारा है
ये दिल तो बंजारा है
सारा जहाँ हमारा है
हिचकी क्यूँ कर आती है
किसने मुझे पुकारा है
एक जगह टिकता ही नहीं
दिल कितना आवारा है
वोह मासूम जो घर पर है
मेरी आँख का तारा है
भीतर मेरे रहता है
जिसका मुझे सहारा है
मौन सुलगता रहता है
भीतर जो अंगारा है
Tuesday, 26 July 2011
यादें भी ले गया ,ज़रा मुस्कान ले गया
यादें भी ले गया ,ज़रा मुस्कान ले गया
मैं उनकी बज़्म से ,कई अरमान ले गया
मै भूल जाऊँ अब उन्हे ,ले ली है ये कसम
मुझसे ही मेरे कत्ल का, फ़रमान ले गया
बाँटा ये किसने झूठ, दगा , ख़ौफ़ ये फ़रेब
बदले मे माँगा कुछ नहीं, ईमान ले गया
मेरे तजुर्बों से वो ही , होता है खुदा
हर मुश्किलों से पार ,जो इंसान ले गया
मुद्दत से ये ही सिलसिले ,खामोशियों मे गुम
सपनो को फिर से लूटकर, दरबान ले गया
वो कौन इतनी साज़िशों, विज्ञापनों के बीच
रहकर भी मौन, बज़्म से सम्मान ले गया
सपने खुली आँखों के, सपने नही होते
सपने खुली आँखों के, सपने नही होते
दिल जिनमे दरीचे न हो, अपने नही होते
बचपन का मेरा ख्वाब कहीं,खो गया ऐसे
कुछ सीपियों मे ज्यों कभी मोती नहीं होते
खुशियों के कारोबार पे ,करता है जो यकीं
ये झूठ है कि ग़म उसे सहने नही होते
हर शख़्स जहाँ भीड़ मे तन्हा सा रहता है
बेशक वो मकां होंगे कभी घर नहीं होते
मुस्कान चलों बाँट दें कुछ इस जहाँ मे हम
सजदे को खुदा- बुत ही ज़रूरी नही होते
बिछड जाते हैं जिनके दिल मिले हैं
बिछड जाते हैं जिनके दिल मिले हैं
मुहब्बत के ये ही तो सिलसिले हैं
किया है प्यार पहले से ज़ियादा
बिछड के जब ख़यालों मे मिले हैं
कुरेंदे आओ मिलकर ज़ख्म दिल के
हुआ क्या जो वो पहले से छिले हैं
हुए हैं बेखबर खुद से जो यारों
सुना है बस ख़ुदा उनको मिले हैं
चलों बैठे करें कुछ मीठी बातें
भुला दें आज जो शिक़वे गिले हैं
कहूँगा मौन रहकर बात दिल की
पता मुझको है मेरे लब सिले हैं
बात महफ़िल मे वफा की जब उठी
बात महफ़िल मे वफा की जब उठी
तेरे बारे मे ही सोचा देर तक
वक़्त सूरज का ही हर रहता नही
दीप बन करना उजाला देर तक
गीत बन गुलशन मे तुम यूँ गूँजना
गुनगुनाएँ लोग जिसको देर तक
उस जगह तामीर हो तेरा मुकाम
दिख सकें एक दूसरे को देर तक
इक मुकम्मल गज़ल बन जाएँ चलो
याद रक्ख़ेगा ज़माना देर तक
जीतेंगे हम
जीतेंगे हम,
पहुँचेंगे फिर उसी ठौर
आएगा जीवन मे फिर से
अच्छा दौर.....
क्या हुआ जो आज हैं
बेचैन रातें
क्या हुआ की हो किसी ने
चुभती बातें
आएगी सुबह ,फिर से लेके
मौका और......
पेडों ने कब पतझड पर
आंसू बहाए
पंछी कब टूटे नीडों से
हार पाए
शाख़ों पर आएँगी कोंपल
पत्ते- बौर........
मौन कभी तन्हा बैठा है
सोचा है?
परछाई रहती है हरदम
देखा है?
दुख मे साथ वही रहती है
करना गौर.................
जीतेंगे हम, पहुँचेंगे फिर उसी ठौर
क्या कहें क्या ना कहें
क्या कहें क्या ना कहें
गीत बन ढलते रहें
श्रम से भीगी जो हो सांसे ,
वक़्त खेले उल्टे पांसे
मंज़िलें कदमो में होंगी
शर्त बस - चलते रहें
क्या कहें क्या ना कहें.....
राह जब दुश्वार होगी
जीत होगी ,हार होगी
जिस्म की इमारतों मे
ख़्वाब बस, पलते रहें
क्या कहें क्या ना कहें.............
एक धुन्धली सी किरण है
रिश्तों मे जो आवरण है
सांस की गर्मी से अपनी
मोम से गलते रहें
क्या कहें क्या ना कहें.........
आज हमने फिर से पाई ज़िन्दगी
आज हमने फिर से पाई ज़िन्दगी
आज हमने फिर से उनसे बात की
खुल रही थी राज़ की परते जहाँ
था अन्धेरा, रोशनी की बात की
ज़ख़्म जो पावों को पत्थर ने दिए
उनसे फ़ूल और पत्तियों की बात की
हाथ मे जो लोग थे खंजर लिए
हमने उनसे आदमी की बात की
जो खडे थे राह मे तन्हा कहीं
हमने उनसे हमसफ़र की बात की
टूटते चेहरों को फ़िर से जोडने
हमने उनसे ज़िन्दगी की बात की
मेरा, छूट गया गाँव.
सुविधा के मोह में
बहक गए पाँव
मेरा, छूट गया गाँव.......
गोबर से लिपा पुता रहता था आँगन
खुशियाँ ही खुशियाँ तब लाता था सावन
जीवन अब अस्त-व्यस्त
सर पे नही छाँव
सुविधा के मोह में.........................
शहर सारा बेगाना, सर पे नहीं साया
सुख मे जो साथ रहा, दुख में ना आया
ना ही बचा ठौर कोई
ना ही कोई ठाँव
सुविधा के मोह में.......................
रोजी के लाले हैं, पाँवों मे छाले
सुलझाए , सुलझे ना, उलझन के जाले
जीवन मे लगने लगे
रोज़ नए दाँव
सुविधा के मोह में..........................
तुम्हारी याद तो आई बहुत है.
तुम्हारी याद तो आई बहुत है..............
जहाँ हर द्वार दरबानों के पहरे ,
चमकती गाडियां,बंगले सुनहरे,
वहाँ रिश्तों में तनहाई बहुत है.
तुम्हारी याद तो आई बहुत है.........
नदी चुप है और सागर बोलते हैं,
सभी दौलत से सपनें तौलते हैं,
हाँ,मंजिल भी तमाशाई बहुत है
तुम्हारी याद तो आई बहुत है.........
नकाबों से ढंके है सारे चेहरे
छुपा रक्खे हैं सबने राज गहरे,
है इंसा एक ,परछाई बहुत हैं.
तुम्हारी याद तो आई बहुत है..........
दिखाने के बचे सब रिश्ते -नाते,
जुबां पर हो भले ही मीठी बातें ,
यूँ, संबंधों में तो खाई बहुत है .
तुम्हारी याद तो आई बहुत है...........
जुबां है मौन ,मंज़र बोलते हैं,
यहाँ इमां ज़रा में डोलते हैं,
सच की राहों पे तो काई बहुत है.
तुम्हारी याद तो आई बहुत है
गज़ल
बिछड़ जाते हैं जिनके दिल मिले हैं,
मुहब्बत के यही तो सिलसिले हैं.
किया है प्यार पहले से जियादा,
बिछड़ के जब ख्यालों में मिले हैं.
कुरेदें आओ मिलकर ज़ख्म दिल के,
हुआ क्या जो वो पहले से छिले हैं.
हुए हैं बेखबर खुद से जो यारों,
सुना है बस खुदा उनको मिले हैं.
चलो बैठें करें कुछ मीठी बातें,
भुला दें आज जो शिकवे -गीले हैं.
कहूँगा मौन रहकर बात दिल की,
पता मुझको है मेरे लब सिले हैं.
कुछ मंज़िलों तक पहुँचे ,कुछ राहों मे
कुछ मंज़िलों तक पहुँचे ,कुछ राहों मे बिखर गए
जाने कितने मुसाफ़िर , इन राहों से गुज़र गए
भागती फिरती रही , डर से सहमी हवा
जब तक न आँधियाँ थमी , तूफाँ गुज़र गए
दर्द की बस्ती मे कैसा जश्न कैसी ये खुशी
जब कभी रोटी मिली, चेहरे निखर गए
उम्र भर के सिलसिले ,शब्द के साँचों मे ढल
शक्ल बनकर , गीत गज़लों मे संवर गए
कैसी थी पतवार, कश्ती, वो भंवर, वो दास्ताँ
क्या पता उनको, जो साहिल पर उतर गए
भूल कैसे जाएँ जो ,ताउम्र फ़ूलों से रहे
मौन रहकर भी जो ,खुशबू से बिखर गए
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Sunday, 29 May 2011
<div style="width:680px;padding:0;margin:0;border:none;background:#000 url(http://tripwow.tripadvisor.com/tripwow/ta-019d-fcde-3886/e/f4de235b26/bg)0 0 no-repeat"><embed width="680" height="425" src="http://images.travelpod.com/bin/tripwow/flash/tripwow.swf" flashvars="xmlPath=http%3A%2F%2Ftripwow.tripadvisor.com%2Ftripwow%2Fta-019d-fcde-3886%2Fxml%3Fed%3Df4de235b26%26ref%3D" base="http://images.travelpod.com/bin/tripwow/flash/" type="application/x-shockwave-flash" quality="high" bgcolor="#000000" name="TripWow" wmode="opaque" pluginspage="http://www.macromedia.com/go/getflashplayer" allowscriptaccess="always" allowfullscreen="true"></embed><!-- Use of this widget is subject to the terms stated here: http://tripwow.tripadvisor.com/tripwow/widget_terms.html --><div style="width:680px;padding:0;margin:0;border:none;background:#fff;font-family:verdana,sans-serif;color:#999;text-align:justify;font-size:9px"><a href="http://tripwow.tripadvisor.com/tripwow/ta-019d-fcde-3886" style="color:#c60">May 17, 2011 Slideshow</a>: Rohit’s trip from <a href="http://www.tripadvisor.in/Tourism-g297609-Gandhinagar_Gujarat-Vacations.html" style="color:#c60">Gandhinagar</a>, <a href="http://www.tripadvisor.in/Tourism-g297607-Gujarat-Vacations.html" style="color:#c60">Gujarat</a>, <a href="http://www.tripadvisor.in/Tourism-g293860-India-Vacations.html" style="color:#c60">India</a> to Chhindwāra (near <a href="http://www.tripadvisor.in/Tourism-g503700-Pachmarhi_Madhya_Pradesh-Vacations.html" style="color:#c60">Pachmarhi</a>, <a href="http://www.tripadvisor.in/Tourism-g297646-Madhya_Pradesh-Vacations.html" style="color:#c60">Madhya Pradesh</a>) was created by <a href="http://www.tripadvisor.in/" style="color:#c60">TripAdvisor</a>. See another <a href="http://tripwow.tripadvisor.com/slideshow/india/pachmarhi.html" style="color:#c60">Pachmarhi slideshow</a>. Create your own stunning <a href="http://tripwow.tripadvisor.com/" style="color:#c60">free slideshow</a> from your travel photos.</div></div>
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