यादें भी ले गया ,ज़रा मुस्कान ले गया
मैं उनकी बज़्म से ,कई अरमान ले गया
मै भूल जाऊँ अब उन्हे ,ले ली है ये कसम
मुझसे ही मेरे कत्ल का, फ़रमान ले गया
बाँटा ये किसने झूठ, दगा , ख़ौफ़ ये फ़रेब
बदले मे माँगा कुछ नहीं, ईमान ले गया
मेरे तजुर्बों से वो ही , होता है खुदा
हर मुश्किलों से पार ,जो इंसान ले गया
मुद्दत से ये ही सिलसिले ,खामोशियों मे गुम
सपनो को फिर से लूटकर, दरबान ले गया
वो कौन इतनी साज़िशों, विज्ञापनों के बीच
रहकर भी मौन, बज़्म से सम्मान ले गया
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