बिछड़ जाते हैं जिनके दिल मिले हैं,
मुहब्बत के यही तो सिलसिले हैं.
किया है प्यार पहले से जियादा,
बिछड़ के जब ख्यालों में मिले हैं.
कुरेदें आओ मिलकर ज़ख्म दिल के,
हुआ क्या जो वो पहले से छिले हैं.
हुए हैं बेखबर खुद से जो यारों,
सुना है बस खुदा उनको मिले हैं.
चलो बैठें करें कुछ मीठी बातें,
भुला दें आज जो शिकवे -गीले हैं.
कहूँगा मौन रहकर बात दिल की,
पता मुझको है मेरे लब सिले हैं.
No comments:
Post a Comment